Wednesday, February 5, 2025

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, देश की सभी महिलाओं को दिया गर्भपात का अधिकार

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देश की सर्वोच्च कोर्ट का आज ऐतिहासिक फैसला आया है। कोर्ट ने देश की सभी विवाहित व अविवाहित महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (MTP) एक्ट के तहत 24 सप्ताह में गर्भपात कराने का अधिकार दिया है। अब ऐसे महिलाएं जिनका मैरिटल रेप हुआ है वह प्रेग्रेंट हैं तो अबाॅर्शन करा सकेंगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव असंवैधानिक है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में 2021 का संशोधन विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं करता है। इसी लिए अब अविवाहित महिलाओं को भी 20-24 हफ्ते के गर्भ को अबार्ट करने का अधिकार होगा। इसे पहले यह अधिकार केवल विवाहित महिलाओं को था। सर्वोच्च न्यायालय ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी रूल्स के नियम 3-बी का विस्तार कर अविवाहित महिलाओं को अधिकार दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या गया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी महिलाएं जो लिव-इन रिलेशनशिप से इतर प्रेग्नेंट हुई हैं, उन्हें मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स से बाहर करना असंवैधानिक है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत रेप का मतलब मैरिटल रेप समेत होना चाहिए।

कोर्ट ने आगे कहा कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेद एक स्टीरियोटाइप को कायम रखता है कि केवल विवाहित महिलाएं ही यौन गतिविधियों में लिप्त होती हैं। किसी महिला की वैवाहिक स्थिति के आधार पर उससे अबॉर्शन का अधिकार नहीं छीना जा सकता। सिंगल और अविवाहित महिलाओं को प्रेग्नेंसी के 24 हफ्ते तक मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत अबॉर्शन का अधिकार है।

यह ऐतिहासिक फैसला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया हैं। कोर्ट ने कहा है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत सभी के समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन है। अविवाहित और एकल महिलाओं को गर्भपात से रोकना और सिर्फ विवाहित महिलाओं को अनुमति देना संविधान में दिए गए नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का हनन है।

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