कांग्रेस अध्यक्ष पद और राजस्थान के नए मुख्यमंत्री को लेकर सियासी घमासान जारी है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेद को दुनिया जानती है। सचिन पायलट सीएम ना बने इस लिए गहलोत के समर्थकों ने अपना इस्तीफा दे दिया है। इससे आप समझ ही सकते हैं कि राजस्थान की सियासत कितनी गरम हो चुकी है।
एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव तो दूसरी तरफ सीएम पद के लिए आपसी जंग, दोनों ही कांग्रेस के भविष्य पर ग्रहण लगा सकते है। 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसके लिए राहुल गांधी देश में “भारत जोड़ो यात्रा: के जरिए मतदाताओं को अपनी ओर खीचना चाहते है। लेकिन पायलट और गहलोत की आपसी रंजिश कहीं राहुल गांधी के किये कराए पर पानी ना फेर दे। पर उससे पहले राजस्थान की सियासत पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुए है।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए वैसे से तो चार नाम सामने आएं हैं। पहला नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, दूसरा कांग्रेस नेता शशि थरूर, तीसरा नाम कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह, चौथा मनीष तिवारी का है। इनमें खास बात यह है कि इस बार गांधी परिवार से किसी का नाम नामांकन के लिए समाने नहीं आया है। राहुल गांधी ने तो अध्यक्ष बनने से साफ मना कर दिया है।
आपको बता दें कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद लिए दावेदार बताएं जा रहे हैं। देखा जाए तो किसी अन्य उम्मीदवार के पास वह पद नहीं है जो अशोक गहलोत के पास है। अशोक गहलोत सीएम पद से इस्तीफा देकर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ते हैं। तो हो सकता है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी दाव पर लगाकर उससे हार जाएं। ऐसे में न तो उनके पास मुख्यमंत्री का पद बचेगा न ही अध्यक्ष का ।
जानकारी के लिए बता दें कि गहलोत गुट ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक यानी 19 अक्टूबर तक ये गुट किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगा।
गहलोत गुट ने तीन शर्तें भी रखी हैं। पहली- सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही सीएम बने। दूसरी- सीएम तब घोषित हो, जब अध्यक्ष का चुनाव हो जाए। तीसरी- जो भी नया मुख्यमंत्री हो। वो गहलोत की पसंद का ही हो। अब आगे क्या होगा, वह कांग्रेस के भविष्य तय करेगा। क्योंकि इन दोनों मामले से पूरे देश में कांग्रेस पार्टी की किरकिरी हो रखी है।