अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस 2021 का थीम
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस 1 मई को मनाया जाएगा और हर साल एक कॉमन ऑब्जर्वेशन थीम है। जो मजदूरों के प्रयासों का प्रतीक है 2021 के थीम की घोषणा अभी नहीं की गई है। हालांकि, जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी। 2019 में श्रम दिवस के लिए थीम था, सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए श्रमिक एकजुट करना। इस तरह से वर्ष 2020 की थीम को जारी रखने की संभावना है जब तक कि अलग से घोषित नहीं किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस 2020 का विषय “कोरोनावायरस” महामारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिएष् कार्यस्थल पर सुरक्षा बनाए रखना था।
हर साल 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है ये दिवस श्रमिकों की उपलब्धियों का जश्न मनाने और श्रमिकों के शोषण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है एक मई को दुनिया के मजदूर उस दिन की याद में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस (International Labour Day) मनाते हैं। जब अमेरिका में मजदूरों (Workers) को उनका हक मिला था यह दिवस उनके हक की लड़ाई उनके प्रति सम्मान भाव और उनके अधिकारों के आवाज को बुलंद करने का प्रतीक है।
अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत एक मई 1886 को अमेरिका में एक आंदोलन से हुई थी। इस आंदोलन के दौरान अमेरिका में मजदूर काम करने के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित किए जाने को लेकर आंदोलन पर चले गए थे। 1 मईए 1886 के दिन मजदूर लोग रोजाना 15-15 घंटे काम कराए जाने और शोषण के खिलाफ पूरे अमेरिका में सड़कों पर उतर आए थे। इस दौरान कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी थी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें यह ऐलान किया गया कि 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा। इसी के साथ भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में काम के लिए 8 घंटे निर्धारित करने की नींव पड़ी।
भारत में मजदूर दिवस 1923 में चेन्नई में मनाया गया था। इस दिन को हिंदुस्तान की लेबर किसान पार्टी ने देखा। इस दिन कम्युनिस्ट नेता मलयपुरम सिंगारवेलु चेट्टियार ने भी सरकार से कहा कि इस दिन को श्रमिकों के प्रयासों और काम का प्रतीक बनाने के लिए राष्ट्रीय अवकाश के रूप में माना जाना चाहिए। इस दिन को भारत में कामगर दिवस, कामगर दिन और अंर्तराष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में भी जाना जाता है। आपको बता दें कि पहली बार इसी दौरान मजदूरों के लिए लाल रंग का झंडा वजूद में आया था। जो मजदूरों पर हो रहे अत्याचार व शोषण के खिलाफ आवाज उठाने का प्रतिक है। इससे पहले मजदूरों का बहुत ही ज्यादा शोषण किया गया था क्योंकि उन्हें दिन में 15 घंटे काम करने के लिए बनाया गया था और ये 1886 का वक्त था कि श्रमिक एक साथ आए और अपने अधिकार के लिए आवाज उठाना शुरू कर दिया। विरोध में उन्होंने प्रतिदिन 8 घंटे काम करने और पेड लीव्स के साथ प्रदान करने के लिए कहा ऐसा नहीं है कि अब दुनिया भर में मजूदरों की शोषण खत्म हो गया है। आज भी दुनिया भर में मजदूरों का शोषण किया जाता है। लिंग के आधार पर उनकी मजदूरी अलग अलग होती है। ऐसा असंगठित क्षेत्रों में ज्यादा होता है। इसके लिए कानून जरूर बने हैं लेकिन अभी इस पर बहुत काम होना बाकी है।
- दरअसल, मजदूर दिवस के दिन कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की जाती है, विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।
- सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में समारोह का आयोजन किया जाता है।
- हालांकि कोरोनावायरस और लॉकडाउन के कारण इस बार यह गतिविधियां संभव नहीं है।
- महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस भी 1 मई को ही मनाने की परंपरा है।
मजूदरों की स्थिति में बदलाव और दुनिया में मजूदर दिवस मनाने का सिलसिला एक ही दिन की बात नहीं थी। 20वीं सदी में मजदूरों से मानवों की तरह बर्ताव और सम्मान देखने की बातें जमीन पर दिखाई देने लगीं थी। पहले मजदूरों की स्थिति और औजारों को बेहतर केवल उत्पादन या लाभ कमाने के लिए बेहतर किया जाता था। लेकिन 20वीं सदी के मध्य में यह साबित हो किया गया था कि मजदूर मशीन नहीं हैं और उनसे इंसानों की तरह बर्ताव उत्पादन में भी वृद्धि कर सकता है। इसके बाद 20वीं सदी में मानवाधिकारों मांगों के जरिए भी मजदूरों की स्थिति में काफी सुधार हुआ।
मजदूर दिवस पर विचार
1 कर्म ही असली पूजा है – महात्मा गांधी
2 जो काम मनुष्य के उद्धार के लिए किया जाता है उसका बहुत महत्व और गरिमा होती है – मार्टिन लूथर किंग
3 कार्य का आनंद लेने वाले ही उसे सही तरीके से कर सकते हैं – अरस्तू
4 किसी काम को करना बड़ी बात नहीं हैए लेकिन जिस काम से हमें खुशी मिलती है वह चमत्कार से कम नहीं है – मदर टेरेसा
परेशानियाँ बढ़ जाए तो इंसान मजबूर होता हैं श्रम करने वाला हर व्यक्ति मजदूर होता हैं
किसी को क्या बताये कि कितने मजबूर हैं हम बस इतना समझ लीजिये कि मजदूर हैं हम
मैं मजदूर हूँ मजबूर नहीं यह कहने में मुझे शर्म नहीं अपने पसीने की खाता हूँ मैं मिटटी को सोना बनाता हूँ