भारत की पावन भूमि जननी मां के रूप में पूजी जाती है। हम हो या आप, हर कोई इस धरा को अपनी माता मानते हैं। नवरात्री में माता के नाम के जयकारे चारों और सुनाई देते है। भक्त माता को प्रसंन करने के लिए नवरात्री के नव दिन माता की उपासना करते हैं। ताकि मां दुर्गा उनके कष्टों का निवारण करें।
देश में हर वर्ष हम प्रति त्योहार को एक बार मनाते है। लेकिन नवरात्री के रंग में दो बार रंग जाते हैं। माता के भक्त धरती के किसी भी कोने में क्यों न हो, पर मां की उपासना करना नहीं भूलते। मां दुर्गा को दुर्गतिनाशिनी यानी बुराई का नाश करने वाली और भक्तों की रक्षा करने वाली के रूप में भी जाना जाता है।
भारत देश में नवरात्रि का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। देश के कई राज्यों में इसकी धूम रहती है। गुजरात का गरबा हो, या फिर बंगाल की दुर्गा पूजा या कुल्लू का दशहरा हर कहीं माता का नाम सुनाई देता है।
आपको बता दें कि नवरात्रि मनाने के पीछे दो पौराणिक कथा काफी प्रचलित हैं। पहली कथा महिषासुर से और दूसरी रावण से संबंधित है।
पहली पौराणिक कथा महिषासुर नामक दैत्य की है। जिसने ब्रह्मा जी की तपस्या की और ब्रह्मा जी से वरदान मांगा कि कोई भी देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला मनुष्य उसे मार न पाएं। ब्रह्मा जी ने उसे तथास्तु बोल दिया।
वरदान पाने के बाद महिषासुर ने उत्पाद मचाना शुरू कर दिया। उसके आतंक इतना ज्यादा बढ़ गया कि देवी-देवता भी परेशान हो गए। अतं में सभी देवता देव के देव महादेव, भगवान विष्णु और परमपिता ब्रह्मा के पास गए। तब सभी देवताओं ने मिलकर आदि शक्ति का आह्वान किया और एक तेज प्रकट हुआ जो कि नारी के रूप में बदल गई।
यह नारी दुर्गा मां थीं। दुर्गा मां ने महिषासुर को ललकारा और उनके बीच 9 दिन तक भयंकर युद्ध चला। 10वें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। मान्यता है कि इन 9 दिनों के दौरान देवताओं ने रोज देवी की पूजा-आराधना कर उन्हें बल प्रदान किया था। तब से ही नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है और इस दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की आराधना की जाती हैं साथ ही 10वें दिन को देवी दुर्गा की जीत के चलते विजयादशमी भी कहा जाता है।
दूसरी पौराणिक कथा
यह कथा भगवान श्रीराम के द्वारा लंकापति रावण के वध की है। माता सीता का हरण करके ले गए रावण से युद्ध करने से पहले भगवान श्रीराम ने 9 दिन तक अनुष्ठान करके मां दुर्गा का आर्शीवाद प्राप्त किया था और फिर 10वें दिन रावण का वध किया था। इस कारण 9 दिन तक मां दुर्गा की आराधना करने के बाद रावण दहन करके दशहरा मनाया जाता है।