“भारत जोड़ो यात्रा”
देश को आजादी दिलाने के लिए कई आदोंलन हुए, कई यात्राएं निकाली गई। जब भारत आजाद हुए तो उसके बाद भी कई रथ यात्राएं निकाली गई। मगर उनका उदेश्य कुछ ओर था। जो आज के समय में यात्रा निकाली जा रही है उसका उदेश्य क्या हो सकता है?
यह सवाल आपके जहन में जरूर आया होगा। क्या कांग्रेस सत्ता पर विराजमान सरकार को देशद्रोही समझती है,जो उसे देश से निकालना चाहती है। क्योंकि उनकी “भारत जोड़ो यात्रा” का अभियान तो कुछ ऐसा ही लगता है। वर्तमान समय में अगर कोई भी पार्टी ऐसी यात्रा निकालती है तो उसका अर्थ यहीं निकालता है कि वह दूसरी पार्टी के सदस्यों को अंग्रेज समझती है। राहुल गांधी तो भाजपा की सोच को अंग्रेजों की सोच समझते हैं।
देखा जाए तो राहुल गांधी की जो भारत जोड़ो यात्रा है। उसको लेकर कई संदिग्ध सवाल तो उठते है। कांग्रेस का कहना है कि वह देश में बढ़ रही महंगाई, भेद-भाव, अपराध और सत्ताधारी सरकार द्वारा सरकारी एजेंसियों के दुरूपयोग के खिलाफ यह यात्रा निकाल रही है।
तो क्या इस के नाम से ऐसा कुछ जाहिर होता है। अगर आप मेरे से पुछेगे की आपका क्या मत है तो मैं कहुगां कि मुझे नहीं लगता कि भारत छोड़ो यात्रा का उदेश्य यह हो सकता है।
जैसे की कांग्रेस का मत है कि केंद्रीय सरकार के सत्ता में आने के बाद समाज में आर्थिक असमानता बढ़ी है। तो उनसे जरा पुछीए कि क्या जो ये असमानता बढ़ी है उसका कारण केवल वर्तमान सरकार है। जब देश में कांग्रेस की 2014 के पहले सरकार दी, तो क्या भारत के जो उद्योगपति हैं वह देश में नहीं थे। कांग्रेस भाजपा सरकार पर आरोप लगाती है कि वह केवल अपने अमीर दोस्तों को और अमीर बनाने में लगी है।
अभी के कोरोना काल को ही ले लीजिए। जब पूरी दुनिया इस महामारी का शिकार हो गई थी और सभी देशों की आर्थिक स्थिती कमजोर हो गई थी यहां तक की अमेरिका जो विश्व में सबसे शक्तिशाली देश है। असकी आर्थिक स्थिति का क्या हाल कोरोना में हुआ। जिससे वह अभी भी निजात नहीं पा पाया है। कई विशेषज्ञों में अमेरीका में आर्थिक मंदी आने की बात कहीं है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते है कि विश्व के अन्य देश की क्या हालात हुई होगी।
महामारी के दौरान भारत ने अपने अर्थव्यवस्था को संभाला, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की राह पर चला। वर्तमान समय में भारत की अर्थव्यवस्था सर्वाधिक तेजी के साथ बढ़ रही है।
दूसरा कांग्रेस पार्टी का उदेश्य जाती, धर्म, भेद-भाव और बढ़ रहे अपराध को लेकर है। अगर धर्म की बात करें तो कांग्रेस हमेशा से मुस्लिमों को पक्ष में रही है। वह कभी नहीं चाहती थी, अयोध्या में भगवान का राम मंदिर बने। आज अगर हिंदुओं अपने अधिकार और धर्म को लेकर आवाज उठा रहा है तो इसमें गलत क्या है। क्या कांग्रेस ने मुस्लिमों को खुश नहीं किया है। आजादी के पहले की बात हो या फिर आजादी के बाद की। कांग्रेस हमेशा से एक खास समुदाय के पक्ष में रही है। रहीं जाती भेदभाव की बात तो वह न केवल हिंदुओं में है नहीं बल्कि मुसलमानों में भी समान रूप से देखने को मिलती है।
केवल फर्क अब इतना है कि मुस्लिम अपने धर्म को लेकर कट्टर है वहीं हिंदू हर एक धर्म का सम्मान करना जानते है और रही बात अपराध की तो मैं पूछना चाहता हूं कि क्या 2014 के पहले समाज में अपराध नहीं होते थे। आज अगर समाज में अपराध बढ़ रहा है तो इसके पीछे सरकार और सविंधान दोनों- जिम्मेदार है। आज एक प्रधान से लेकर मुख्यमंत्री पर कितने आरोप पुलिस थानों में दर्ज है। 2014 के पहले में अपराधी पैसों और ताकत के बदोलत छुट जाते थे और 2014 के बाद भी। आज एक छोटी बच्ची के साथ दुष्कर्म होता है तो हमारा सविंधान उसे फांसी पर लटकाने की इजाजत नहीं देता है। अगर उस अपराधी को पुलिस एंनकाउटर में मार दिया जाता है तो यहीं विपक्षी पार्टीयां सरकार पर सवाल उठाती है।
आज जब किसी नेता को पुछताछ के लिए रक्षा एजेंसियां ले जाती है तो वहीं विपक्षी पार्टियां पुलिस का रास्ता रोक लेते है। सड़क से लेकर विधानसभा और राज्यसभा में हंगामा करती है। तो क्या इससे अपराध करने वालों के हौसले बुलंद नहीं होते।
आज जब किसी दलित लड़की या उसके परिवार के साथ कोई घटना घटती है तो उस राज्य की सरकार के मथे पड़ दिया जाता है कि उस के सरकार में दलितों का शोषण हो रहा है पर पहने राज्य में अगर ऐसी कोई घटना होती है तो मुंह को सील लेते है। अगर उच्चीय जाती की लड़की या उसके परिवार के साथ कुछ ऐसा होता है तो उसमें भी दो टके की राजनीति करते है। लेकिन अगर किसी मुस्लिम द्वारा हिंदु लड़की या उसके परिवार के दुर्व्यवहार होता है। तो यहीं विपक्षी पार्टियों को सांप सूंघ जाता है।
लव जिहाद, धर्मांतरण, हिंदुओं का शोषण होता है और सर तन से जुदा के नारे लगते है। तब यहीं पार्टियां अपने अपने बिल में छुप जाती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी हाथरस तो जाने का ड्रामा करते है लेकिन कभी मुसलमान द्वारा हिन्दू लड़की का यौन शोषण करने पर उनके खिलाफ एक शब्द नहीं निकालता।
भारत जोड़ो यात्रा कभी इन जैसे को खिलाफ क्यों नहीं निकालते। क्यों नहीं आंतगवाद, लव जिहाद, बलात्कार करने वाले को फांसी, रोहिंग्याओं के खिलाफ भारत छोड़ो यात्रा नहीं निकालते।
अगर इन मुद्दों पर कोई यात्रा निकालेगें तो इनको वोट कौन देगा। इनकी राजनीति तो इन्हीं जैसे लोगों के बदौलत जो चलती है।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा महज दिखावे के सिवा और कुछ नहीं है। राहुल गांधी के साथ 80 ये ज्यादा एयर कंडीशंड कंटेनर साथ चलेगें। जिनमें 5 स्टार होटल जैसी सारी सुविधाएं होगीं। बारबेक्यू से लेकर टीवी इंटरनेट सब कुछ फ्री होगा। जिसमें तमाम नेता बैठ कर मौज करेगें और चार कदम चलकर जनता को बेवकूफ बनाएं।