तालिबान और पाकिस्तान का प्रेम किसी से छीपा नहीं है। पूरी दुनिया जानती है कि तालिबान का साथ पाकिस्तान हर हाल में देता है। अफगानिस्तान पर कब्जे के वक्त भी पाकिस्तान ने तालिबान का सपोर्ट किया था। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने तालिबान को सारी दूनिया में इज्जत दिलाने का काम किया था यहां तक की इमरान खान ने अपनी कुर्सी तक को दाव पर लगा दिया था आपको बता दें कि इमरान खान को लगता था कि वह तालिबानों की मदद से जम्मू-कश्मीर पर कब्जा कर देगा। खेर या तो अब पाकिस्तानियों का एक सपना है जो कभी पूरा नहीं होने वाला।
उसी तालिबान ने अफगानिस्तान में पाकिस्तानी मुद्रा पर बैन लगा दिया है। तालिबान खुफिया एजेंसी ने घोषणा की कि अफगानिस्तान में पाकिस्तानी मुद्रा में वित्तीय लेनदेन पर पूरी तरह रोक रहेगी। हमने अपने इस फैसले से मनी लॉन्ड्रिंग शाखा को अवगत करा दिया है।
तालिबान के इस फैसले के बाद मनी एक्सचेंज डीलरों को 500,000 रुपये से अधिक के लेनदेन करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। यदि निर्धारित राशि से अधिक राशि पाई जाती है तो डीलरों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
आपको बता दें कि अफगानिस्तान में कुछ स्थानीय लोग और व्यापारी पाकिस्तानी रुपये का इस्तेमाल रोजमर्रा के खर्च और भोजन की खरीद के लिए करते हैं।
इस के अलावा तालिबान ने दावा किया कि अफगानिस्तान में अमेरिकी हवाई हमले की अनुमति देने के लिए पाकिस्तान को एक बड़ी राशि मिली है। तालिबान का कहना है कि उनके पास अपने दावों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।