रूस और युक्रेन के जंग की आग अभी तक शांत नहीं हुई है कि एक और युद्ध की आहट सुनाई दे रही है। एक तरफ चीन और ताइवान के बीच तनाव चरम सीमा पर हैं। वहीं आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच भीषण युद्ध ने जन्म ले किया है। दोनों ही देशों के बीच मंगलवार को झड़प हुई जिसमें करीब 100 सैनिक मारे गए। है।
इससे पहले साल 2020 में नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर दोनों देश में युद्ध हुआ था। जिसमें आर्मेनिया व अजरबैजान के लोगों को मिलाकर लगभग 6,500 लोग मारे गए थे। युद्ध के बाद नागोर्नो-काराबाख पर अजरबैजान ने कब्जा कर लिया था।
एक बार फिर दोनों देशों की आपसी झड़प भीषण जंग का रूप ले सकती थी। इस झड़प के बाद आर्मेनिया की और से कहा गया है कि अजरबैजान अंधाधुंध बमबारी कर रहा है। उसके जर्मुक, गोरिस और कापन शहरों पर हमला किया गया है। इतना ही नहीं अजरबैजान आम लोगों को निशाना बना रहा है। हमले के बाद आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकाल पाशनियान ने बताया है कि इस हमले में हमारे 49 जवान मारे गए हैं।
वहीं, अजरबैजान ने आर्मेनिया के ऊपर उकसाये जाने का आरोप लगाया है। अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को बताय कि सरहदी इलाकों में आर्मेनिया ने हाल के दिनों में भारी गोलीबारी की और बारूदी सुरंगे बिछाई हैं। इन हमलों को रोकने में हमारे 50 जवानों की मौत हुई है।
अजरबैजान का कहना है कि वह सिर्फ सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहा है। उसने आम नागरिकों पर हमले नहीं किए।
विशेषज्ञोें का मानना है कि अजरबैजान को लगता है कि वह गैस के दम पर यूरोपीय देशों को आर्मेनिया की मदद के लिए आगे आने से रोक सकता है। बता दें, आर्मेनिया को सबसे ज्यादा समर्थन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का है और रूस इस समय युक्रेन में घिरा हुआ है। खार्किव में यूक्रेन की सेना रूस को टक्कर दे रही है। रूस ने पश्चिमी देशों के लिए गैस सप्लाई बंद कर दी है। अजरबैजान बड़ा गैस उत्पादक देश है।